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पाकिस्तान के करीब जाने की खतरनाक राह पर बांग्लादेश

बांग्लादेश की विदेश नीति में हाल के बदलाव चिंताजनक हैं। देश ने पाकिस्तान के लाहौर विश्वविद्यालय से अपने छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए छात्रवृत्ति स्वीकार की है। साथ ही, उसने भारत में अपने न्यायाधीशों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को भी रद्द कर दिया है। ये फैसले भारत के साथ रिश्तों में दरार ला सकते हैं। साथ ही, इससे देश के युवाओं के कट्टरपंथ की ओर जाने का खतरा भी बढ़ रहा है।

लाहौर विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति: खतरे का संकेत?

पाकिस्तान के लाहौर विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति स्वीकार करना बांग्लादेश के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। पाकिस्तान के कई शैक्षणिक संस्थान कट्टरपंथी विचारधाराओं से जुड़े हैं। इन संस्थानों से शिक्षा पाने वाले छात्रों पर कट्टरपंथी सोच का असर पड़ सकता है।

पाकिस्तान का अतीत बताता है कि उसने कई बार शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से चरमपंथी विचार फैलाए हैं। अगर इस प्रक्रिया पर निगरानी नहीं रखी गई, तो बांग्लादेशी छात्रों को चरमपंथी संगठनों में खींचने का खतरा रहेगा। इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।

भारत में न्यायाधीशों के प्रशिक्षण का रद्द होना

हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत में 50 न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रस्तावित प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द कर दिया। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव है। हैरानी की बात है कि इस फैसले के लिए कोई ठोस कारण नहीं दिया गया।

भारत में न्यायिक प्रशिक्षण से बांग्लादेशी अधिकारियों को कानून के क्षेत्र में नई जानकारी मिलती थी। साथ ही, उन्हें लोकतंत्र और कानून के महत्व को समझने का मौका मिलता था। इस कार्यक्रम को रद्द करना बांग्लादेश को इन लाभों से वंचित कर देगा। यह फैसला भारत के साथ उसके मजबूत रिश्तों को कमजोर कर सकता है।

इतिहास से सबक लेना जरूरी

बांग्लादेश के इन फैसलों से ऐसा लगता है कि वह इतिहास से सबक नहीं ले रहा है। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना ने भयानक अत्याचार किए थे। लाखों लोगों को मारा गया और लाखों महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ।

उसी समय, भारत ने बांग्लादेश की आजादी के लिए पूरा समर्थन दिया। भारत ने सैन्य और मानवीय मदद देकर बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद कराया। ऐसे में, पाकिस्तान की ओर झुकाव दिखाना बांग्लादेश की उस ऐतिहासिक मित्रता को अनदेखा करना है, जिसने उसे आजादी दिलाई।

आगे की राह

बांग्लादेश को अपनी विदेश नीति के फैसलों पर सावधानी से विचार करना होगा। पाकिस्तान के करीब जाना उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे न केवल देश की आंतरिक स्थिरता पर असर पड़ेगा, बल्कि क्षेत्रीय रिश्तों में भी तनाव बढ़ेगा।

बांग्लादेश को उन देशों के साथ संबंध मजबूत करने चाहिए, जो उसके विकास और शांति के रास्ते का समर्थन करते हैं। भारत ने हमेशा बांग्लादेश के विकास और प्रगति में सहयोग दिया है। भारत के साथ अच्छे संबंध बांग्लादेश के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। वहां के न्यायिक प्रशिक्षण और लोकतांत्रिक मूल्यों से बांग्लादेश को बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है। भारत के साथ रिश्ते मजबूत रखने से बांग्लादेश अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था को और बेहतर बना सकता है।

आज बांग्लादेश जिस रास्ते पर बढ़ रहा है, वह खतरनाक हो सकता है। पाकिस्तान के करीब जाना उसके युवाओं और संस्थानों पर बुरा असर डाल सकता है। कट्टरपंथी विचारधाराओं के असर से बचने के लिए उसे सतर्क रहना होगा।

भारत और बांग्लादेश का रिश्ता ऐतिहासिक है। यह रिश्ता सहयोग, विश्वास और साझा बलिदान पर आधारित है। बांग्लादेश को इस रिश्ते को प्राथमिकता देनी चाहिए और अपने फैसलों में दूरदर्शिता दिखानी चाहिए। यही रास्ता उसके विकास और स्थिरता के लिए सही होगा।

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